सलोनी का प्यार (उपन्यास)लेखनी कहानी -17-Jan-2022
जब से राहुल लापता हुआ सलोनी का मन खेल कूद खाने पीने में नहीं लगता था, उसका पढ़ने लिखने में भी अब मन नहीं लगता। स्कूल जाती तो राहुल को सबसे आगे वाली डेस्क पर ना देख पूरे क्लासरूम में उसकी आंखें राहुल को ही खोजती। वो अब उससे हमेशा के लिए दूर रहेगी, कभी उसके सामने नहीं आएगी,
बस एक बार... बस एक बार...
वो घर लौट आए फिर से स्कूल आने लगे।
बस कुछ महीने ही तो अब इस स्कूल में पढ़ना है फिर तो बड़े स्कूल में जाना ही है।
सलोनी को बार बार यही बात कचोटती जो रमा जी ने बताई थी, उसकी मम्मी को अपने होश में आने के बाद कि उस सुबह क्या हुआ था।
मेरे कारण आंटी ने उसे मारा.. मेरे कारण राहुल स्कूल से भाग गया ... घर नहीं आया लापता हो गया...
बस अब मैं उसे हर हाल में वापस उसके मम्मी पापा के पास लाऊंगी। वो सुबह उठते ही भगवान को प्रणाम कर अपने मम्मी पापा को प्रणाम करती । मम्मी पापा भगवान होते हैं हमारे , इन्हें कभी दुखी नहीं करना चाहिए।
पागल है राहुल जिसे घर छोड़ते समय में ख्याल नहीं आया कि उसके ऐसा करने से उसके मम्मी पापा पर क्या बीतेगी। रो रो कर बुरा हाल हो गया है रमा आंटी का और गोयल अंकल जो हमेशा अपने चुटकुलों से सबको हंसाते और हमेशा हंसते मुस्कुराते रहते,अब कितना उदास और बिमार से दिखते हैं।आंटी की दिमागी हालत ही बिगड़ गई हैं, राहुल राहुल करके किसी भी उसके हम उम्र बच्चे को घर ले आती है, पागलों की तरह गलियों में उसे ढूंढती है। मुझे मेरे अंकल आंटी पहले की तरह वापस चाहिए। सलोनी मन में फैसला करती है।
रोज स्कूल जाने से पहले रास्ते में जो हनुमान जी का मंदिर था, वहां माथा टेकती सलोनी आंखें बंद कर प्रार्थना करती हे बजरंगबली तुम तो सबसे शक्तिशाली हो जब भगवान राम के भाई लक्ष्मण को जीवित करने के लिए संजीवनी बूटी खोजने के लिए पूरा पहाड़ ला सकते हो तो क्या उस पागल राहुल को खोजने में मेरी मदद नहीं कर सकते। राहुल मिल जाएगा वापस घर आ जाएगा तो मैं सवा रुपए का प्रसाद चढ़ाऊंगी। हर मंगलवार को आपका व्रत करूंगी जब तक राहुल नहीं मिलता। प्लीज़ प्लीज़ राहुल को घर भेज दो, अंकल आंटी को उनका बेटा वापस लाने में मेरी मदद करो। मैं कभी उसके घर नहीं जाऊंगी, स्कूल भी चेंज कर लूंगी, उससे कभी नहीं मिलूंगी।
प्रार्थना करते-करते जब सिर ऊपर उठाती, आंखें आंसुओं से भीगी होती, उस छोटी सी नौ साल की सलोनी के आंसू देख बजरंगबली की मूर्ति की आंखे भी गीली नजर आती। अपने आंसू पोंछ सलोनी हनुमान जी की मूर्ति देख कहती मुझे शक्ति दो ताकत दो अपने जैसा स्ट्रोंग कर दो अगर आपको नहीं मिल रहा राहुल तो मैं खुद ढूंढ कर उसे अंकल आंटी के पास पहुंचा दूं।
सवा महीने नियमित सलोनी सुबह शाम मंदिर जाती और राहुल के घर लौटने की प्रार्थना करती। पर राहुल का कुछ अता पता नहीं था। दूरदर्शन पर लापता बच्चों में उसकी फोटो आती थी टीवी पर और अखबार में भी उसकी फोटो छपी थी एक दिन, जो राहुल को घर पहुंचाता उसे इनाम के रूप में एक लाख रुपए दिए जाएंगे ।
एक दिन जब सलोनी मंदिर से बाहर निकल अपना बैग टांग जूते पहन रही थी उसकी नजर दो भिखारिन पर पड़ी, एक की गोदी में ढाई-तीन साल की बच्ची सो रही थी और दूसरी भिखारिन उसे डांट रही थी।
"अरी!कैसे कैसे बच्चों को उठा लाती है तूं , तबाही मचाई हुई है उस नौ साल के छोरे ने जिसे तूं सवा महीने पहले पार्क से उठा लाई थी। एक पैसा ना कमाई हुई उससे, अब चल जल्दी सेठ बुला रहा है तुझे , उसके हाथ पैर काटेगा या पता नहीं अंधा कर देगा फिर तूं ही उसको लेकर भीख मांगने निकलना तो ज्यादा आमदनी होगी,ये छोरी मन्ने दे.."
सलोनी झुकी हुई जूते के फीते बांधती उन दोनों की सारी बातें सुन रही थी । भिखारिन तो आपस में झगड़ने में ही लगी थी, वहां उन दोनों के सिवाय सलोनी थी या कोई और भी सुन रहा है उनकी बातें वो अनजान थी।
"नहीं नहीं अरे कितना सुंदर मासूम सा बच्चा है वो, ऐसा नहीं कर सकता वो आदमी।हम भी औरत हैं मां भले ना बन सकी बचपन से भीख मांगती आई पर उस कालिया का अंत नजदीक आ गया है, "
ऐसा कहकर दोनों भिखारिन वहां से लंबे लंबे कदम बढ़ाती चल पड़ी। सलोनी ने अपनी कलाई घड़ी पर समय देखा, अभी स्कूल का समय होने में दस दो मिनट बांकी थे। उसने एक बार फिर बजरंगबली की मूर्ति को प्रणाम किया थैंक्यू बजरंगी रास्ता दिखाने के लिए और वो उन दोनों का पीछा करने लगी। आज अगर स्कूल छूटा भी तो कोई बात नहीं पर मुझे ऐसा लग रहा है हो ना हो ये भिखारिन जरूर जानती है राहुल को ,वो इन्हीं के चंगुल में फस गया है।
वैसे भी जो बच्चे घर से अकेले भाग जाते हैं वो बच्चा चोर के गिरोह की नजर में आ जाते हैं, फिर उन्हें या तो बाल मजदूरी में झोंक दिया जाता है या हाथ पैर काट भिखारियों को सौंप दिया जाता है। ऐसा मैंने कई कहानी में भी पढ़ा है और समाजिक की मैम भी एक दिन बता रही थी ।
नहीं नहीं राहुल को इनके चंगुल से छुड़ाना ही होगा।
सलोनी दबे पांव छुपते छुपाते उन भिखारिन के पीछे पीछे चल रही थी,एक गली से दूसरी गली मुड़ते वक्त भिखारिन पीछे मुड़कर देखती और सलोनी कभी किसी पेड़ तो कभी किसी दीवार की ओट में छिप जाती। करीब आधा घंटा चलने के बाद वो दोनों एक पुराने से कारखाने के अंदर चली गई जहां सैकड़ों बच्चे पटाखे बना रहे थे तो कुछ बच्चे जिनके हाथ पैर कटे हुए थे रो रहे थे। उन सबके बीच एक चीख एक जानी पहचानी आवाज सुन सलोनी जो कि छुपते छुपाते उन भिखारिन के साथ उस जगह पहुंच गई थी, राहुल को देख उसने फिर अपने बजरंगबली को याद किया।
वो वहां का मंजर देख एक बार तो बुरी तरह डर गई लेकिन फिर उसने वहां बारूद देखा तो एक योजना बनाई और धीरे से पहले वहां दूसरे हॉल में रखे फोन से 100 नम्बर डायल कर पुलिस को फोन किया, कुछ बच्चों को अपने साथ मिलाया और अपनी योजना बताई।सभी बच्चे उसे कालिया के अत्याचार से दुखी थे, सब उस कैद से छूट अपने घर वापस जाना चाहते थे।
कालिया के हाथ में एक लोहे की गर्म छड़ थी जो वो राहुल की आंखें फोड़ने की तैयारी कर रहा था , और चीखते हुए बोला,"इसने नाक में दम कर दिया है ना यहां काम कर रहा है ना भीख मांगने जाता है, सुंदरता इसके रंग रूप का आचार नहीं डालना है मुझे। मुझे बस पैसा चाहिए बस पैसा, काम करके दे या भीख मांग कर।"
राहुल डरा सहमा, खड़ा था और सलोनी को याद कर रहा था। "मैं सच पागल था अपनी जिस खूबसूरती और गोरे रंग के लिए और उस सलोनी को हीन दृष्टि से देखता था आज मैं कितना काला और बदसूरत हो गया हूं, और अब अंधा भी हो जाऊंगा और भीख मांगूंगा। नहीं नहीं काश! सलोनी जैसे हर बार मुझे घर में और स्कूल में डांट पड़ने से बचा लेती थी आज वो मेरे पास आ जाए मुझे बचा ले।मैं अब अच्छा बच्चा बनूंगा, मन ही मन राहुल सोच रहा था।"
क्रमशः
सलोनी की योजना क्या सफल हो पाएगी, राहुल को उस कालिया के चंगुल से छुड़ाने में कामयाब हो पाएगी। सलोनी का ये अनोखा प्रेम जानने के लिए जुड़े रहिए 'वो झल्ली सी लड़की का अनोखा प्यार '....इस कहानी से।पढ़ते रहिए और समीक्षा में अवश्य बताएं कहानी कैसी लग रही है।
लेखिका : कविता झा'काव्या कवि'
# लेखनी
## लेखनी धारावाहिक लेखन प्रतियोगिता
११.०२.२०२२
Seema Priyadarshini sahay
12-Feb-2022 04:27 PM
बहुत बढ़िया, रोचक..👌👌
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